लोक आस्था का महान पर्व छठ का व्रत खरना के साथ शुरू हो गया। चार दिनों के इस पर्व में पवित्रता का विशेष खयाल रखते हुए पर्व करने वाली महिलाओं ने दिन भर उपवास रखकर रात में खरना करने के बाद खरना का प्रसाद ग्रहण किया।
इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया। रविवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। वहीं सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देकर पर्व का समापन होगा।

बड़े ही स्वच्छ तथा धार्मिक विधि से छठ पर्व के खरना का प्रसाद छठ व्रतियों द्वारा बनाया गया। प्रसाद बनाते वक्त महिलाओं की टोलियों द्वारा छठ माई के भजन व गीत गाए गए।

प्रसाद को आसपास मुहल्ला के लोगों व इष्ट मित्रों को बुलाकर खिलाया गया। लोगों का मानना है कि इस प्रसाद की विशेष महत्ता है।

इसे श्रद्धा व भक्ति से ग्रहण करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी दु:ख-दर्द नहीं होता है। जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती है।