मगध के स्वर्णिम अतीत को अपने दामन में समेटे हुए टिकारी राज किला अब तक बिहार सरकार और पुरातत्व विभाग की उपेक्षा का दंश झेलता रहा है. यही वजह थी कि ऐतिहासिक महत्व वाले टिकारी राज किले का अस्तित्व खतरे में पड़ गया था.
राज परिवार के सदस्यों द्वारा टिकारी राज किले की भूमि की बिक्री करने से इसका इतिहास भी दम तोड़ता नज़र आने लगा था, लेकिन स्थानीय लोगों के प्रयास ने इसके अस्तित्व को बचाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाई. अब इस ऐतिहासिक किले को पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में लेने का निर्णय लिया है.
विभाग ने इसके विकास और सौंदर्यीकरण का बीड़ा भी उठाया है. इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पुरातत्व विभाग ने अगस्त के प्रथम सप्ताह में एक पांच सदस्यीय टीम से निरीक्षण भी करावाया है.
टिकारी राज के अंतिम नरेश कैप्टन गोपाल शरण सिंह अंग्रेज शासन काल में अपनी बहादुरी और विपरीत दिशा में साठ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से कार चलाने के लिए प्रसिद्ध थे. अद्वितीय रंग, कौशल और बहादुरी के लिए भी गोपालशरण सिंह चर्चित थे.