बिहार की राजनीति में हमेशा से ही बाहुबलियों का दबदबा रहा है चाहे वो शहाबुद्दीन हो, सूरजभान हो, छोटे सरकार के नाम से विख्यात अनंत सिंह हो या फिर सुनील पांडे। ऐसे ही एक बाहुबली जदयू के पूर्व सांसद आनंद मोहन हैं। वे गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में फिलहाल कई सालों से जेल में बंद हैं।
जिलाधिकारी की हत्या के मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बता दें कि आनंद मोहन एक जमाने में उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र के बाहुबली कहलाते थे। राजनीति में उनकी एंट्री 1990 में हुई। तब पहली बार सहरसा से विधायक बने थे।
पप्पू यादव से हिंसक टकराव की घटनाएं देश भर में सुर्खिया बनीं। 1994 में उनकी पत्नी लवली आनंद ने भी वैशाली लोकसभा का उप चुनाव जीतकर राजनीति में अपनी धमाकेदार एंट्री की थी। आनंद मोहन ने जेल से ही 1996 का लोकसभा चुनाव समता पार्टी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की थी।
2 बार सांसद रहे आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी एक बार सांसद रह चुकी हैं। 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी की पार्टी ने उन्हें शिवहर से टिकट दिया था। 74 आंदोलन की उपज आनंद मोहन अपनी हरकतो के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं।
बिहार विधान सभा से लेकर संसद तक उनकी हरकतों के गवाह रहे हैं। लालू प्रसाद को चुनौती देकर उन्होने बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की और ढेरों सुर्खियां बटोरी थी, लेकिन चुनाव में उनकी पार्टी धराशायी हो गई। फिर जदयू से जुड़े और सांसद भी बने।