आपने ये तो सुना होगा, कि एक माँ ने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने गहने बेच दिये, लेकिन आपने शायद ही ऐसी किसी टीचर के बारे में सुना होगा, जिसने अपने छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए अपने आभूषण बेच दिये हों। आईये हम मिलवाते हैं, आपको तमिलनाडु के विल्लुपुरम की एक ऐसी टीचर से जिसके सपने उसकी ज़रूरतों से बड़े हैं। सपना अपने छात्रों को बेहतर शिक्षा देने का, सपना उनके भविष्य को एक खूबसूरत और शिक्षित आकार देने का…
तमिलनाडु के विल्लुपुरम का सरकारी स्कूल उस टीचर की कहानी सुनाता है, जिन्होंने छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अपनी सारी कमाई न्योछावर कर दी और अपने आभूषण बेचकर एक सरकारी स्कूल को अनूठे स्कूल में बदल देने का दुनिया भर के शिक्षकों के सामने एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया।
रंगीन मनमोहक फर्नीचर, इंटरैक्टिव स्मार्टबोर्ड और ढेर सारी रोमांचक किताबों के साथ, ये यकीन कर पाना मुश्किल होता है, कि ये तीसरे दर्जे तक का एक सरकारी स्कूल है। किसी भी ग्रामीण कक्षा की सफलताओं को ध्यान में रखते हुए, तमिलनाडु के विल्लुपुरम की टीचर अन्नपूर्णा मोहन ने स्कूल में सुविधाओं की कमी का रोना रोते रहने की बजाय स्कूल के सुधार में सक्रिय रूप से योगदान करने का निर्णय लिया। टीएनएम की एक रिपोर्ट में उन्होंने कहा,
‘मैंने अपनी कक्षा में अंग्रेजी सीखने के लिए एक अच्छा माहौल बनाने की कोशिश की। मैंने अपने छात्रों के साथ कक्षा की शुरुआत से लेकर अंत तक अंग्रेज़ी में बातचीत करने की शुरुआत की। शुरुआत में, उनमें से कुछ इसे समझ नहीं पाते थे, लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने जवाब देना शुरू किया।’
अन्नपूर्णा पंचायत संघ प्राथमिक स्कूल (PUPS) में एक इंग्लिश टीचर हैं। स्कूल की बेहतरी और बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर अन्नपूर्णा मोहन ने सब से पहले बच्चों के उच्चारण, व्याकरण और भाषा पर ध्यान देना शुरू किया। उनके अनुसार सबसे पहले बच्चों को कुछ भी सीखाने समाझाने के लिए उनके बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। वे कहती हैं,
‘तमिलनाडु में शिक्षक इस पद्धति का इस्तेमाल नहीं करते हैं और तोते जैसा रटा कर अंग्रेजी सिखाते हैं, जिस कारण से छात्रों में अंग्रेजी का डर बन जाता है। फोनेटिक आधार के माध्यम से मैंने उन्हें आवाज़ सिखाई, जो उन्हें जटिल अंग्रेजी शब्दों को पढ़ने में मदद करती।’