बिहार के कैमूर जिले के पवरा पहाड़ी श्रृंखला पर स्थित मां मुंडेश्वरी मंदिर देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में एक है। नवरात्र के दौरान सुबह से लेकर शाम तक इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।
इस मंदिर में बली देने की प्रथा अनोखी है। जिस भक्त को बली देनी होती है वह अपने साथ बकरा लेकर आता है।मंदिर के पुजारी बकरे पर अक्षत छिड़कते हैं, जिससे वह बेहोश हो जाता है।
इसके बाद पूजा की जाती है। पूजा खत्म होने पर बकरे को होश आ जाता है और उसकी बली पूरी मानी जाती है। इस तरह बिना वध किए और खून बहाए बली पूरी हो जाती है।
नवरात्र में लाखों श्रद्धालु आते हैं यहां
नवरात्र के दौरान मुंडेश्वरी मंदिर में पूजा करने लाखों श्रद्धालु आते हैं। शुक्रवार को नवमी के दिन यहां भक्तों की लंबी कतारें देखी जा रहीं है। भगवती दुर्गा ही यहां मुंडेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
धाम के चारों तरफ की भूमि का कण कण पवित्र है। माता मुंडेश्वरी का सिद्ध स्थल भी है। वह जगह तांत्रिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखता है।