पटना-दीघा फोरलेन योजना ठंडे बस्ते में पड़ गई है। वहां रेल लाइन हटाकर सड़क बनाने के मामले में केन्द्र ने जमीन की पेंच फंसा दी है।
राज्य सरकार भी इस मामले को एक साल पहले भूमि सुधार विभाग को भेजकर चुप है। लिहाजा अब इस योजना की चर्चा भी बंद हो गई है। तीन साल से संचिकाओं में घूम रही यह योजना अब दम तोड़ने लगी।
तीन साल पहले पटना-दीघा रेल लाइन को हटाकर वहां फोरलेन सड़क बनाने की योजना बनी थी। केन्द्र ने भी उस समय इस योजना पर सहमति दे दी। पर बाद में रेलवे ने जमीन देने को शर्त लगा दी।
रेलवे ने जमीन के बदले उतनी ही कीमत की जमीन राज्य सरकार से मांग की है।
खास बात यह है कि रेलवे ने उस जमीन की कीमत कॉमर्शियल दर से 900 करोड़ रुपये आंकी है। रेलवे की मांग पूरा करना राज्य सरकार के लिए कठिन है।
लिहाजा पथ निर्माण विभाग ने एक साल पहले रेलवे के दावे को भूमि सुधार विभाग को भेजकर चुप्पी साध ली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के समय ही यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार को दिया था।
लेकिन तब रेलवे बदले में जमीन लेने को तैयार नहीं था। रेलवे की मांग थी कि राज्य सरकार इस जमीन का पैसा दे। इतना ही नहीं रेलवे उन अतिक्रमित भूखंड के लिए भी पैसा मंग रहा था जिनपर अभी पक्का मकान बने हुए हैं।