लालबत्ती छीन जाने के बाद अब अंगरक्षक छीनने की बारी है। सिर्फ रौब झाड़ने के लिए अंगरक्षक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
वैसे तमाम लोगों के अंगरक्षक तत्काल क्लोज करने के आदेश दिए गए हैं, जो दिखावा पसंद हैं। ब्यूरोक्रेट्स, माननीय और अन्य वीआइपी सब इस फैसले की जद में आएंगे।
खत्म हो जाएगी परंपरा : महज स्टेटस सिंबल के लिए अंगरक्षक लेकर घूमना गुजरे जमाने की बात होगी। मतलब साफ है कि लॉ एंड ऑर्डर का सहारा लेकर न तो ब्यूरोक्रेट्स और न ही माननीय को अपने इर्द-गिर्द अंगरक्षकों की भारी भरकम फौज लेकर चलने की छूट रह जाएगी।
जरूरी होंगे अंगरक्षक तो गौर करेगी सरकार : अंगरक्षक रखने के मामलों की समीक्षा के बाद जिलों से उन लोगों की सूची मांगी गई थी, जिन्हें अंगरक्षक दिए गए हैं। वे कब और किस वजह से दिए गए थे, ये जानने के बाद अंगरक्षकों की संख्या में कटौती का लिया गया है।
खतरे के आकलन के बाद निर्णय होगा कि अंगरक्षक वाकई जरूरी हैं या फिर उन्हें स्टेटस सिंबल के लिए रखा गया है। जरूरत पर अंगरक्षक हटाए व बढ़ाए भी जा सकते हैं।
सुरक्षा का होगा आकलन : सांसद व विधायक के साथ वैसे नेताओं की सुरक्षा का भी आकलन होगा, जिन्हें अंगरक्षक मिले हैं। सांसदों व विधायकों को कम से कम तीन अंगरक्षक देने का नियम है।
अंगरक्षक तय करने वाली समिति भंग : अंगरक्षकों की प्रतिनियुक्ति के लिए जिला सुरक्षा समिति तथा प्रमंडलीय सुरक्षा समिति गठित की गई थी।